द्रौपदी मुर्मू को बड़ा समर्थन
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने
जैसे ही आदिवासी महिला नेता द्रौपदी मुर्मू (Draupadi Murmu) को
राष्ट्रपति पद के लिए पार्टी का उम्मीदवार घोषित किया है, उसके बाद से
विपक्ष में फूट पड़ती दिखाई पड़ रही है. इसकी वजह से सारा गणित गड़बड़ होता दिख
रहा है. उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने
अपने इरादे साफ कर दिए कि वो उड़ीसा की बेटी को समर्थन दे रहे हैं.
देश के सर्वोच्च पद यानी राष्ट्रपति पद के लिए 18
जुलाई
को मतदान होना है। रामनाथ कोविंद का कार्यकाल पूरा होने के बाद अब देश को नया
राष्ट्रपति मिल सकता है। भाजपा की ओर से राष्ट्रपति पद के लिए महिला उम्मीदवार हैं
तो वहीं विपक्ष की तरह से यशवंत सिन्हा को उम्मीदवार बनाया गया है। भाजपा की महिला
उम्मीदवार का नाम द्रौपदी मुर्मू है। द्रौपदी मुर्मू 24 जून को अपना
नामांकन दाखिल करेंगी। अगर भाजपा की महिला उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू चुनाव जीत
जाती हैं तो वह भारत की दूसरी महिला राष्ट्रपति बन जाएंगी। बता दें कि इसके पहले
प्रतिभा पाटिल को भारत की पहली महिला राष्ट्रपति होने का गौरव प्राप्त हुआ था। एक
बार फिर महिला देश के सर्वोच्च पद पर आसीन होने के एक कदम दूर हैं। ले
द्रौपदी मुर्मू कौन हैं?
राष्ट्रपति पद के लिए होने वाले मतदान में
एनडीए की ओर से द्रौपदी मुर्मू का नाम दिया गया है। द्रौपदी मुर्मू उड़ीसा की
आदिवासी महिला नेता हैं और झारखंड की गवर्नर रह चुकी हैं।
द्रौपदी मुर्मू का जीवन परिचय-
द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा के मयूरभंज जिले
में 20 जून 1958 को एक आदिवासी परिवार में हुआ था। उनके पिता का
नाम बिरंची नारायण टुडू था, जो अपनी परंपराओं के मुताबिक, गांव
और समाज के मुखिया थे।
उन्होंने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत ओडिशी
से भाजपा के साथ ही की। भाजपा ज्वाइन करने के बाद उन्होंने 1997 में
रायरंगपुर नगर पंचायत के पार्षद चुनाव में हिस्सा लिया और जीत दर्ज कराई। भाजपा ने
मुर्मू को पार्टी के अनुसूचित जनजाति मोर्चा का उपाध्यक्ष बना दिया। इसके बाद
ओडिशा में भाजपा और बीजू जनता दल की गठबंधन की सरकार में साल 2000 से 2002
कर
वह वाणिज्य और परिवहन स्वतंत्र प्रभार मंत्री रहीं। साल 2002 से 2004
तक
मत्स्य पालन और पशु संसाधन विकास राज्य मंत्री के तौर पर काम किया। उन्होंने ओडिशा
के रायगंज विधानसभा सीट से विधायकी का चुनाव भी जीता। बाद में साल 2015 से 2021
तक
झारखंड की राज्यपाल भी नियुक्त हुईं। वह राज्य की पहली महिला गवर्नर बनीं।
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