Animals in Prison Summary in Hindi
1. For fourteen and …………………………….. in that little space.
अनुवाद : मैं देहरादून की जेल की कोठरी में साढ़े चौदह मास रहा और मुझे लगने लगा था कि मैं उसका लगभग अंश नन गया था। मैं उसके चप्पे-चप्पे से परिचित था, मैं सफेदी
दुई दीवारों त असमतल फर्श व घुन की खाई हुई लकड़ियों के प्रत्येक चिह्न व गड्ढे से परिचित बाहर छोटे से आंगन में मैं घास के गुच्छों व पत्थर के टुकड़ों का मित्रों के रूप में अभिनन्दन करता था। मैं कोठरी में अकेला न था क्योंकि वहाँ भिड़, ततैयों के कई छत्ते थे और बहुत-सी छिपकलियों ने कड़ियों के पीछे घर बना लिए थे और शिकार की खोज में सायं के समय बाहर आती थीं। यदि विचार व भावनाएँ भौतिक वातावरण में अपने अंश/चिह्न छोड़ सकते हों तो कोठरी की वायु उनसे भरपूर होगी, उस छोटे-से स्थान की प्रत्येक वस्तु से चिपक रह होंगे।
2. I had had better …………………… morning and evening.
अनुवाद : अन्य जेलों में मुझे बेहतर कोठरियाँ मिली थीं, परन्तु देहरादून जेल में मुझे एक विशेष सुविधा थी जो मेरे लिए बहुत महत्त्वपूर्ण थी। जेल विशेष बहुत छोटी थी, और हमें जेल की दीवारों के बाहर परन्तु जेल के आंगन में ही एक पुरानी हवालात में रखा गया था। यह जगह इतनी छोटी थी कि उसमें घूमने-फिरने का कोई स्थान न था, इसलिए हमें गेट के सामने तक प्रातः-सायं आने-जाने की अनुमति थी, जो कि लगभग सौ गज का फासला था। हम जेल के आंगन में ही रहते थे, परन्तु दीवारों से बाहर आने से हमें पहाड़ों, खेतों और कुछ दूरी पर के एक जनमार्ग का दृश्य प्राप्त हो जाता था। यह मेरे अकेले के लिए विशेष सुविधा न थी, बल्कि देहरादून में रखे ए व बी श्रेणी के सभी कैदियों को प्राप्त थी। प्रांगण में ही, परन्तु जेल की दीवार के बाहर, एक और छोटा-सा भवन था जिसे यूरोपियन हवालात कहते थे । उसकी कोई चारदीवारी न थी और कोठरी में बैठा व्यक्ति पहाड़ों व बाह्य जीवन का अच्छा दृश्य देख सकता था। इसमें रखे गए यूरोपियन अपराधियों व अन्य लोगों को जो इसमें रखे जाते थे, उन्हें प्रातः व सायं जेल के गेट के सामने घूमने की अनुमति थी।
3. Only a prisoner who…………………….the mountain and I.
अनुवाद : बाहर की सैर व खुले दृश्य के मानसिक मूल्य को केवल वही समझ सकता है जो ऊँची दीवारों के पीछे बहुत समय तक बन्दी रहा हो । मैं बाहर के इस घूमने-फिरने को बहुत महत्त्व देता था। मानसून के आने पर भी इनको न छोड़ता था, जब वर्षा मूसलाधार पड़ती थी और मुझे टखनों तक गहरे पानी में चलना पड़ता था। मैं सैर का स्वागत किसी भी स्थान पर करता परन्तु समीप में ऊँचे पहाड़ों का दृश्य वहाँ एक अतिरिक्त आनन्द था जो बहुत हद तक जेल में मेरी नीरसता को दूर करने में सहायक था। यह मेरा सौभाग्य था कि उस लम्बे समय में जब कोई मुलाकात न होती थी, और जब कई मास तक मैं अकेला रहता था, मैं उन पहाड़ों को देख सकता था जिन्हें मैं प्यार करता था। मैं अपनी कोठरी से पहाड़ न देख सकता था, परन्तु वे मेरे मन में समाए रहते थे और मुझे उनके समीप होने का आभास रहता था और हम दोनों के बीच गुप्त प्रेम बढ़ता गया । पक्षियों के झुंड ऊंचे व दूर उड़ गए हैं, एक बादलों की अकेली कतार भी घूमते हुए दूर
चली गई है, और मैं अकेला बैठा हूँ और परे चिंग टिंग चोटी खड़ी है, और हम एक-दूसरे से कभी तंग नहीं आते-पहाड़ और मैं ।
4. I am afraid………………………………..my fevered mind.
अनुवाद : कवि लि ताईपो की भाँति मैं कभी नहीं कह सकता कि मैं कभी तंग न आता था, पहाड़ों से भी, परन्तु वह अनूठा अनुभव था, और मुझे उसके सामीप्य में बड़ी शांति मिलती थी। उसका ठोसपन और शांत दृष्टि मुझे लाखों वर्षों की बुद्धिमत्ता लिए निहारती थी और मेरी बदलती मानसिक स्थिति का मजाक उड़ाती थी, और मेरे परेशान मन को शांत करती थी।
5. Spring was…………………………..from bud to leaf!
अनुवाद : देहरादून में वसंत बहुत मनमोहक थी, और वह नीचे मैदानों की अपेक्षा चिरस्थाई थी। शीत ने लगभग सभी पेड़ों को पत्रविहीन कर दिया था और वे खाली नंगे खड़े थे, और मुझे यह देखकर आश्चर्य हुआ कि चार शानदार पीपल के पेड़ जो जेल के गेट के सामने खड़ें थे, उन्होंने लगभग अपने सभी पत्ते गिरा दिए थे। वे तब तक दुबले-पतले उदास खड़े रहे जब तक कि वसंत की गर्म हवा ने उनकी आंतरिक कोशिकाओं में जीवन का संदेश न भेजा। अचानक पीपल व अन्य पेड़ों में हलचल होने लगी, उनके चारों ओर रहस्य छाया रहा जब कि पर्दे के पीछे गुप्त कार्य चलता रहा, और मुझे उन पर सब जगह हरे बिन्दु झाँकते हुए देखकर आश्चर्य हुआ। यह बड़ी प्रसन्नता का दृश्य था। और फिर तेजी से लाखों की संख्या में बाहर आ जाएँगे और धूप में चमचमाएँगे और हल्की पवन में क्रीड़ा करेंगे। कोपल का अचानक पत्ते में बदल जाना कितनी अद्भुत बात है!
6. I never noticed…………………………….. become green.
अनुवाद : मैंने पहले कभी ध्यान न दिया था कि आम के नए पत्ते गेरुए रंग के होते हैं। विलक्षण ढंग से कश्मीर की पहाड़ियों की हेमन्त में आभा की भाँति । परन्तु उनका रंग शीघ्र ही
बदल जाता है और वे हरे हो जाते हैं।
7. The monsoon rains …………………………. from the windows.
अनुवाद : मानन की बरसात अच्छी लगती थी क्योंकि वह ग्रीष्म की गर्मी का अंत कर देती थी। परन्तु कोई अच्छी वस्तु भी अत्यधिक हो जाती है, और देहरादून वर्षा देवता का मनपसन्द अड्डा है। मानसून के आने के पहले पाँच-छ: सप्ताह में हमें पचास-साठ इंच वर्षा मिल जाती थी, और छत से टपकते या खिड़कियों में से घुसते हुए पानी से बचने का प्रयास करते हुए एक तंग स्थान में बन्द होकर बैठना कोई प्रिय अनुभव नहीं होता था।
8. Autumn gain was ………………………….artillery bombardment..
अनुवाद : हेमन्त फिर से अच्छा लगता था और शीतकाल भी, सिवाए इसके जब वर्षा होती थी। बिजली की कड़क और वर्षा और ठंडी तीखी पवनों के कारण किसी अच्छे से रहने के स्थान व थोड़ी-सी गर्मी व आराम की इच्छा होती थी। कभी-कभी ओला-वृष्टि हो जाती थी, और कंचों जितने बड़े ओले लोहे की नालीदार छतों पर गिर कर ऐसा भारी शोर करते थे जैसे तोपें बमवर्षा कर रही हों।
9. I remember one day…………… snow-covered mountains.
अनुवाद : मुझे एक दिन विशेषकर याद है। 24 दिसम्बर 1932 का दिन था। सारा दिन बिजली कड़कती रही और वर्षा होती रही, और कड़ाके की ठंड थी। शरीर की दृष्टि से वह मेरे जेल में काटे सभी दिनों से अधिक दुखदायक दिन था । सायं के समय आसमान बिल्कुल साफ हो गया और मेरी उदासी अचानक समाप्त हो गई जब मैंने पास के पहाड़ों को बर्फ की ओढ़नी से ढके हुए देखा। अगला दिन, क्रिस्मस का दिन, सुन्दर व साफ था, और बर्फ से ढके पहाड़ों का सुन्दर दृश्य था।
10. Prevented from…………………..respected each other.
अनुवाद : सामान्य गतिविधियों में भाग लेने से रोके जाने पर हम प्रकृति के ढंगों का निरीक्षण करने वाले बन गए । हम उन विभिन्न पशुओं व कीटों को देखने लगे जो हमें दिखाई पड़ते थे। मैं अधिक निरीक्षक बनने पर अपनी कोठरी व बाहर आंगन में रहने वाले सभी कीटों को ध्यान से देखने लगा। मैंने अनुभव किया कि जबकि मैं अपने अकेलेपन की शिकायत करता था, वह आंगन जो खाली व वीरान लगता था, वह जीवन से भरपूर था। हर प्रकार के रेंगने वाले कीट मेरे काम में कोई बाधा डाले बिना अपना जीवन व्यतीत कर रहे थे, और मुझे उनके जीवन में दमात देने का कोई कारण दिखाई न पड़ा। परन्तु मेरे और खटमलों, मच्छरों व कुछ हद तक – त्रयों के बीच लगातार युद्ध चलता रहता था । भिड़, ततैयों को मैं सहन कर लेता था और मेरी कोठरी में सैंकड़ों थे। मेरे और उनके बीच एक छोटा-सा झगड़ा हो गया था जब एक १. ने मेरे विचार में अनजाने में डंक मार दिया था। क्रोध में मैंने उनको नष्ट करने का प्रयास परन्तु उन्होंने अपने अस्थाई घर की रक्षा करने के लिए वीरता से मुकाबला किया, जिसमें वतः उनके अंडे थे, और मैंने यह प्रयास त्याग दिया और उन्हें शान्ति से रहने देने का निश्चय किया, यदि वे आगे से मुझे तंग न करें। उसके पश्चात् एक वर्ष तक मैं वहाँ कोठरी में भिड़, ततैयों से घिरा हुआ रहा, उन्होंने मुझ पर कभी आक्रमण नहीं किया और हम एक-दूसरे का सम्मान करते रहे।
11. Bats I did not…………. ………the flying-foxes.
अनुवाद : चमगादड़ें मुझे पसन्द थीं परन्तु उन्हें सहन करना पड़ता था। सायं की गोधूलि वेला में वे बिना ध्वनि के उड़ती थीं, और अँधेरा बढ़ते ही आकाश में उड़ती दिखाई देती थीं। डरावने प्राणी, मुझे उनसे भय लगता था । लगता था कि वे चेहरे से एक इंच की दूरी से गुजरती थीं, और मुझे डर लगता था कि वे मुझसे टकरा सकती हैं। ऊपर आकाश में बड़ी चमगादड़ें, उड़ने वाली लोमड़ियाँ गुजरती थीं।
12. I used to…………………………..international or accidental.
अनुवाद : मैं घंटों तक चीटियों व दीमक व अन्य कीटों को देखता रहता था और छिपकलियों को जब वे सायं को इधर-उधर घूमती थीं और अपने शिकार पर घात लगाती थी, और अपनी पूंछ हास्यकर ढंग से हिलाते हुए एक-दूसरे का पीछा करती थीं। साधारणतः वे ततैयों से दूर रहती थीं । परन्तु दो बार मैंने उन्हें बड़ी सावधानी से उन पर घात लगाकर आगे से पकड़ते देखा। मैं नहीं जानता कि डंक से ऐसे बचना उन्होंने जान-बूझकर किया था या संयोगवश हुआ था।
13. Then there were ……………………… efficient feeding bottle.
अनुवाद : वहाँ गिलहरियाँ थीं, यदि आस-पास पेड़ होते तो उनकी वहाँ भीड़ थी । वे बड़ी साहसी बन जाती और बिल्कुल हमारे समीप आ जाती थीं। लखनऊ जेल में मैं बहुत समय तक बिना हिले पढ़ता रहता था, और कोई गिलहरी मेरी टाँग पर चढ़कर मेरे घुटने पर बैठकर इधर-उधर देखती। फिर वह मेरी आँखों में देखती और तब उसे पता चलता कि मैं पेड़ न था या वह कुछ न था जो उसने मुझे समझा था। एक क्षण के लिए वह भय से निष्क्रिय बन जाती, और फिर वह फुर्ती से भाग जाती थी। कभी-कभी गिलहरी के बच्चे पेड़ों से गिर जाते थे। उनकी माँ उनके पीछे आती, उनको घुमाकर छोटी-सी गेंद-सी बना लेती और उठाकर सुरक्षित स्थान पर ले जाती थी। कभी-कभी बच्चा गुम हो जाता था। मेरे एक साथी ने तीन गुम हुए बच्चे उठाए, और उनकी देखभाल की। वे इतने छोटे थे कि उनको दूध पिलाना एक समस्या थी । परन्तु इस समस्या का समाधान बड़ी चतुराई से कर लिया गया। फाउन्टेनपैन की ट्यूब के साथ थोड़ी-सी रुई लगाने से सफल दूध पिलाने वाली बोतल बन गई थी।
14. Pigeons abounded…………………..impatient cries.
अनुवाद : सिवाए अल्मोड़ा की पहाड़ी जेल के, कबूतर सब जगह भारी संख्या में थे। वे हजारों थे। कभी-कभी जेल अधिकारी उन्हें मार गिराते और खा लेते थे। मैना भी थी। निःसन्देह वे संब जगह मिलती हैं। देहरादून में एक जोड़े ने अपना घोंसला मेरी कोठरी के दरवाजे के ऊपर बना लिया था और मैं उन्हें खाना देता था । वे बिल्कुल पालतू बन गई थीं, और यदि उनके प्रातः या सायं के भोजन में देर हो जाती थी, तो वे बिल्कुल मेरे समीप बैठकर जोर-जोर से पुकारकर अपना भोजन माँगती थीं। उनके संकेत और उनकी अधीर पुकार सुनने में बड़ा मजा आता था।
15. In Naini there were…………………………to the winner.
अनुवाद : नैनी में हजारों तोते थे, और भारी संख्या में मेरी बैरक की दीवारों की दरारों में रहते थे। उनका प्रणय-याचना करना और प्रेम करना सदा मनमोहक होता था, कभी-कभी दो नर तोतों में किसी तोती के लिए खूखार युद्ध हो जाता था जबकि वह मुठभेड़ के परिणाम की प्रतीक्षा शांति से बैठी करती थी और विजेता की पत्नी बनने को तैयार रहती थी। . 16.DehraDun had
16. Dehra Dun had a ………………………..over our heads.
अनुवाद : देहरादून में विभिन्न प्रकार के पक्षी थे, और वहाँ सदा गाने, चहचहाने की घालमेल रहता था और इनसे ऊपर कोयल की दर्दभरी पुकार सुनाई देती थी। बरसात के दिनों में या इससे तुरन्त पहले पागल पक्षी हमारे पास आता था ओर मैं शीघ्र ही समझ गया कि उसका यह नाम क्यों पड़ा था। दिन-रात, धूप या वर्षा में लगातार एक ही पुकार करते रहना अचम्भे की बात थी। उनमें से अधिकतम पक्षी हमें दिखाई नहीं पड़ते थे, हम केवल उनकी ध्वनि सुन सकते थे क्योंकि हमारे छोटे-से प्रांगण में पेड़ नहीं थे। परन्तु मैं गरुड़ों और चीलों को ऊपर आकाश में विसर्पण करते देखा करता था । कभी-कभी वे नीचे झपटते थे और फिर पवन के बहाव में ऊपर उठ जाते थे। प्रायः बतखों के झुण्ड हमारे सिरों के ऊपर उड़ते रहते थे।
17. There was a large…………………….. monkey was rescued.
अनुवाद : बरेली जेल में बन्दरों की एक बड़ी बस्ती थी, और उनका मसखरापन देखने योग्य था । एक घटना से मैं बहुत प्रभावित हुआ । एक बच्चा बन्दर हमारी बैरक के अहाते में आ गया परन्तु वह फिर से दीवार पर न चढ़ सका। वॉर्डर व कुछ अपराधी ओवरसियरों ने उसे पकड़ लिया और रस्सी का टुकड़ा उसके गले में बाँध दिया। उस छोटे बन्दर के (संभवतः) माँ-बाप ऊँची दीवार के ऊपर से यह सब देख रहे थे और उनका क्रोध बढ़ता जा रहा था। अचानक उनमें से एक विशाल बन्दर ने नीचे छलाँग लगाई और बच्चे बन्दर को घेरे खड़ी भीड़ पर अचानक हमला कर दिया। ऐसा करना अद्भुत वीरता का काम था, क्योंकि वॉर्डरों के हाथों में लाठियाँ थीं और वे उन्हें हर ओर से हिला रहे थे, और उनकी संख्या भी बहुत थी। दु:साहस की विजय हुई, और मनुष्यों की भीड़ भयभीत होकर और लाठियाँ वहीं छोड़कर भाग गई । छोटा बन्दर छुड़ा लिया गया।
18. We oftenhad…………………………… but he had vanished.
अनुवाद : प्रायः हमारे पास ऐसे पशु आ जाते थे जिनका आना हमें अच्छा न लगता था । बिच्छू बहुधा कोठरियों में मिलते थे, विशेषकर वर्षा के तूफान के पश्चात् । आश्चर्य की बात थी कि मुझे किसी ने न काटा था, यद्यपि मेरी उनसे भेंट अनपेक्षित स्थानों पर होती थी-मेरे बिस्तर पर, उस पुस्तक पर बैठे हुए जो मैंने अभी पंक्ति में रखी थी। मैंने एक विशेषकर विषैला दिखने वाला क्रूर (बिच्छू) प्राणी कुछ समय तक एक बोतल में रखा, उसे मक्खियाँ खिलाता रहा, और जब मैंने उसे एक डोरी से दीवार पर बाँध दिया तो वह बच निकलने में सफल हो गया। मैं उसे खुला न मिलना चाहता था, इसलिए मैंने अपनी कोठरी का सब सामान हटाकर उसे सब जगह खोजा परन्तु वह गायब हो चुका था।
19. Three or four ………………….. Pavlov’s reflexes were.
अनुवाद : तीन-चार माँप भी मेरी कोठरी या उसके पास पाए गए थे। उनमें से एक की खबर बाहर पहुंच गई और समाचार-पत्रों में मुख्य खबर के रूप में छपी। वास्तव में मुझे मनबहलाव चाहिए था। जेल का जीवन बहुत नीरस है और कोई भी चीज जो नीरसता को तोड़ दे, वह पसन्द आ जाती है। बात यह नहीं है कि मैं साँपों का प्रशंसक हूँ या उनका स्वागत करता हूँ, परन्तु मैं उनसे ऐसा भयभीत नहीं होता जैसा कि कुछ अन्य लोग होते हैं, मैं उनके काटने से डरता हूँ, और नि:संदेह यदि मैं साँप देखू तो उससे अपना बचाव भी करता हूँ। परन्तु घृणा की कोई भावना नहीं होती या भय से पराजित नहीं हो जाता । कानखजूरों से मैं अधिक भयभीत होता हूँ। इसमें इतना भय नहीं है जितनी स्वाभाविक घृणा है। कलकत्ता में अलीपुर जेल में मैं आधी रात के समय उठा और मुझे लगा कि कोई चीज मेरे पाँव पर रेंग रही है। मैंने टॉर्च जलाई और देखा कि मेरे बिस्तर पर कानखजूरा था । स्वाभाविक रूप से और आश्चर्यजनक फुर्ती से मैं बिस्तर से उछला और लगभग कोठरी की दीवार से टकरा गया । तब मैं पूर्णतः समझ सका कि पैवलॉव के भाव विश्लेषी का क्या अर्थ है।।
20. InDehraDun…………. ………….animal was the Pangolin.
अनुवाद : देहरादून में मैंने एक नया पशु देखा, बल्कि मेरे लिए वह नया था। मैं जेल के गेट पर खड़ा जेलर से बातें कर रहा था, तब हमने एक आदमी को बाहर एक विचित्र पशु को ले जाते हुए देखा । जेलर ने उसे बुलवाया और मैंने देखा वह छिपकली व मगरमच्छ के बीच का कोई प्राणी था, कोई दो फुट लम्बा, नुकीले पंजों व पपड़ीदार त्वचा वाला । यह पशु, जो बिल्कुल जीवित था, उसके मालिक ने उसे एक बड़े विचित्र गाँठ के रूप में मोड़ा हुआ था और उस गाँठ में से एक बाँस गुजार रखा था और इस प्रकार से उसे खुशी से उठा रखा था। उसने उसका नाम ‘बो’ बताया । जब जेलर ने पूछा कि वह उसका क्या करेगा, तो उसने भरपूर मुस्कान . से उत्तर दिया कि वह उसकी भुज्जी बनाएगा। वह जंगलवासी था। तत्पश्चात् एफ डब्ल्यू चैम्पियन की पुस्तक ‘द जंगल इन सनलाइट एण्ड शैडो’ पढ़ने से पता चला कि वह पशु पैंगोलिन था ।
21. Prisoners, especially …….. ……………. pulled herround.
अनुवाद : कैदी, विशेषकर दीर्घ अवधि की सजा वाले कैदी, भावात्मक अभिव्यक्ति के लिए तरसते हैं । प्रायः वे पशु पालकर अपनी भावनाओं को संतृप्त करने का प्रयास करते हैं। साधारण कैदी पशु नहीं पाल सकते परन्तु कैदी ओवरसियरों को थोड़ी अधिक छूट होती है और जेल के कर्मचारी इस पर आपत्ति नहीं करते । सामान्य पालतू पशु गिलहरियाँ होती थीं, और विचित्र बात यह है कि नेवले भी होते थे। जेल में कुत्ते रखने की अनुमति नहीं है। परन्तु लगता है कि बिल्ली पालने को प्रोत्साहन दिया जाता है। एक बार एक छोटे से बिलोटे ने मुझसे मित्रता कर ली। वह एक जेल अधिकारी का था। जब उसका स्थानांतरण हुआ तो वह उसे अपने साथ ले गया । मुझे उसकी याद आती थी। यद्यपि कुत्तों को रखने की अनुमति नहीं है, देहरादून में मेरा कुछ कुत्तों से लगाव हो गया था। एक जेल अधिकारी एक कुतिया लेकर आया था और फिर उसका स्थानांतरण हो गया और वह उसे छोड़ गया । वह बेचारी बेघर आवारा बन गई थी, एक पुलिया के नीचे रहती थी, वॉर्डरों से टुकड़े लेती थी, और प्रायः भूखी रहती थी। क्योंकि मुझे जेल विशेष से बाहर हवालात में रखा हुआ था, वह भोजन माँगने के लिए मेरे पास आ जाती थी। मैं उसे नियमित रूप से भोजन खिलाने लगा और उसने पिल्लों के एक समूह को पुलिया के नीचे जन्म दिया । कई तो लोग ले गए । तीन बचे थे और मैं उन्हें भोजन खिलाता था । उनमें से एक डिस्टेम्पर से बुरी तरह बीमार पड़ गया था, और उसने मुझे बहुत भारी कष्ट दिया। मैंने बड़ी लगन से. उसकी सेवा की, और कई बार रात के समय दर्जन (बारह) बार उसे देखने के लिए उठता था। वह बच गई और मैं प्रसन्न था कि मेरी सेवाओं ने उसे बचा लिया था।
22. I come in contact………………….. always go together.
अनुवाद : जेल से बाहर की अपेक्षा जानवरों से मेरा सम्पर्क जेल के अन्दर अधिक हुआ है। मुझे कुत्तों से सदा प्यार रहा है, और कुछ कुत्ते मैनें रखे भी थे। परन्तु मैं उनकी देखभाल उचित ढंग से न कर सकता था क्योंकि मेरा ध्यान अन्य मामलों में लग जाता था। जेल में मैं उनकी संगति का आभारी था। साधारणतः भारतीय लोग पशुओं को घरों में पालना अच्छा नहीं समझते । यह विचित्र बात है कि जिनका दृष्टिकोण पशुओं के प्रति अहिंसा का है, वे लोग विलक्षण रूप से प्रायः उनके प्रति लापरवाह व दया रहित हैं। यहाँ तक कि विशेष कृपापात्र पशु गाय, जिसको बहुत से हिन्दू सम्मान की दृष्टि से देखते हैं और लगभग पूजते हैं, और वह प्रायः दंगों का कारण बन जाती है, उसके साथ भी दयापूर्ण व्यवहार नहीं किया जाता । पूजा व दया सदा साथ-साथ नहीं चलती।
23. Different countries……………………… animal is the cow.
अनुवाद : विभिन्न देशों ने अपनी महत्वाकाँक्षा या चरित्र के द्योतक के रूप में विभिन्न पशुओं को अपनाया है-संयुक्त राज्य अमेरिका व जर्मनी का गरुड़, इंग्लैंड का सिंह व बुलडॉग, फ्राँस का लड़ाका मुर्गा, पुराने रूस का भालू । यह राष्ट्रीय पशु किस सीमा तक राष्ट्रीय चरित्र को रूप प्रदान करते हैं ? इनमें से अधिकतर आक्रमणशील, लड़ाके शिकारी पशु हैं। इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं कि वे लोग जो इन उदाहरणों को समक्ष रखकर बड़े होते हैं, वे जान-बूझकर स्वयं को वैसा बनाते हैं और आक्रमणशील दृष्टिकोण अपनाते हैं, और दूसरों पर दहाड़ते हैं और उन्हें अपना शिकार बनाते हैं, न ही इसमें कोई आश्चर्य है कि हिन्दू विनम्र और अहिंसक बनें क्योंकि उनका द्योतक पशु गाय है।
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