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परछाई

 

परछाई


पानी में अपनी परछाई देख,
मैं घबरा गया,
सोचा एक ही बहुत था,
एक और कहाँ से आ गया,

हवा के धक्के से ये लगा,
गिर न जाऊं कहीं,
खुद के इस प्रतिबिम्ब से,
मिल न जाऊं कहीं,


खुद को खुद से अलग रखना,
हम सभी जानते हैं,
और फिर भी बिना प्रतिबिम्ब के,
स्वयं को पूरा मानते हैं....

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