राजा दशरथ का
इतिहास
Raja Dashrath History
राजा दशरथ का इतिहास में अयोध्या नरेश महाराज
दशरथ जी के इतिहास के बारे में कुछ बात
करे . भगवान श्री राम, लक्ष्मण भरत जैसे महानायकों के पिताजी राजा दशरथ ही
थे. आदर्श महाराजा, प्रजा प्रेमी, पुत्र प्रेमी के रूप में दशरथ जी का चरित्र जाना जाता हैं.
हम सबने रामायण में
राजा दशरथ जी के बारे में पढ़ा है. वे वर्तमान फैजाबाद तथा उस समय के अयोध्या राजा
के रघुवंशी राजा थे. इन्ही के घर राम लक्ष्मण का जन्म हुआ था. दशरथ इक्ष्वाकु कुल
के थे.
रामायण में दिखाए
गये उनके चरित्र के अनुसार एक आदर्श राजा, अपनी सन्तान से अगाध प्यार करने वाला पिता, धर्मनिष्ठ अपने वचन की पालने करने वाले राजा के रूप
में दिखाया गया हैं.
कौशल्या, सुमित्रा तथा कैकेयी इनकी तीन पत्नियाँ तथा राम, भरत, लक्ष्मण एवं शत्रुघ्न ये चार पुत्र थे. इनके एक बड़ी बेटी भी थी जिसका नाम
शांता था उन्हें अंगदेश के राजा रोमपाद को गोद दे दिया था.
दशरथ के पिता का नाम
महाराजा अज और मा का नाम
इंदुमती था. ये अयोध्या के शासक थे. अपने जीवन में इन्होंने भी असुरों के साथ
युद्ध किया. राजा दशरथ इनके पुत्र थे.
रामायण के अनुसार
भगवान श्री राम दशरथ के ज्येष्ठ पुत्र एवं भारतवर्ष के आदर्शपुरुष थे. इन्हें
इतिहास में मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में याद किया जाता हैं. रानी कैकेयी को दिए
एक वचन के कारण इन्हें अपने बड़े पुत्र राम को 14
वर्ष का वनवास देना पड़ा था.
अपने प्रिय पुत्र के वियोग का कष्ट न झेल पाने के कारण दशरथ का देहांत हो जाता
हैं.
इक्ष्वाकु वंश के
तेजस्वी राजा दशरथ का राज्य सरयू नदी के किनारे था जिसकी राजधानी अयोध्या थी. अपने
समय में यह भारत के सबसे सम्रद्ध एवं शान्ति पूर्ण राज्यों में गिना जाता था.
बताया जाता है कि
दशरथ के पिता राजा मनु के कोई सन्तान नही थी. पुत्र प्राप्ति के लिए इन्होने भगवान
विष्णु की कठोर तपस्या की, तपस्या से खुश होकर विष्णु जी ने उन्हें मनचाहा वर मांगने को कहा तब इन्होने
भगवान को अपने कुल में जन्म लेने की इच्छा जताई.
विष्णु जी बोले ऐसा
ही होगा. आज अगले जन्म में राजा दशरथ के रूप में अयोध्या के राजा होंगे रावण के
पापो का संहार करने के लिए मैं माता कैकेयी की गोद से जन्म लूँगा.
राजा दशरथ की एक
बेटी भी थी शांता
आपने कई बार रामायण
की कथा सुनी तथा पढ़ी भी होगी. मगर क्या आपने कभी राजा दशरथ की बड़ी पुत्री शांता का
प्रसंग सुना है जो भगवान राम की बड़ी बहिन थी.
कई स्थानों पर
रामचरितमानस में इसका उल्लेख भी मिलता हैं. कौशल्या रानी की ये पहली सन्तान थी.
अंगदेश की रानी वर्षिणी के वचन के अनुसार उन्हें गोद दे दिया.
बचपन में ही शांता
को अंगप्रदेश में भेज दिया गया. यही उनकी परवरिश हुई थी, बड़ी होने पर इसका विवाह ऋषि ऋषिश्रङ्ग के साथ कर दिया गया.
जब राजा दशरथ को कोई
पुत्र नहीं हुआ तो उन्होंने ऋषिश्रङ्ग को यज्ञ करने के लिए बुलाया. उनके साथ शांता
भी थी. परिचय कराने पर दशरथ उनकी बेटी को पहचान पाए थे. इस यज्ञ के बाद ही दशरथ जी
के घर पर राम , लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ.
राजा दशरथ का राम को
वनवास और केकैयी को वरदान की कहानी
राजा दशरथ की बड़ी
तमन्ना थी कि उनके पुत्र राम राजा बने, मगर वे अपनी इच्छा को कभी पूर्ण नहीं कर पाए थे. उनकी
इस इच्छा की राह में सबसे बड़ी विपदा रानी कैकेयी थी
जिसने अपने वचन एवं
हठ के चलते भगवान राम को 14 साल का वनवास दिलाया. एक कथा के अनुसार बताया जाता है
कि एक बार शिकार खेलते समय राजा दशरथ के बाण से श्रवण कुमार की हत्या हो गई थी.
श्रवणकुमार की
मृत्यु के बाद उनके अंधे माँ बाप ने यह श्राप दे दिया कि जिस तरह हम अपनी सन्तान
के बिना तडप कर मर रहे हैं. तुम भी अपने पुत्र के वियोग में इसी तरह मृत्यु को
प्राप्त करोगे.
अपने पिता के वचन के
मुताबिक़ सन्न्यासियों के वस्त्र पहनकर सीता तथा लक्ष्मण को वनवास में जाना पड़ा.
दशरथ अपने प्रिय पुत्र राम के वियोग को सहन नहीं कर पाए तथा उनकी मृत्यु हो गई.
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