Q1-.प्रागनुभविक ज्ञान क्या है?
Ans-जब हमारा निर्णय अनुभव से बिल्कुल
स्वतन्त्र होता है तो ऐसे निर्णयों को प्रागनुभविक निर्णय कहते हैं। अनुभव से स्वतन्त्र कहने का अर्थ यह
है कि जिसे अनुभव द्वारा प्रमाणित नहीं किया जा सकता अर्थात् जिसे अनुभव द्वारा
सत्य अथवा असत्य सिद्ध नहीं किया जा सकता ऐसे निर्णयों को प्रागनुभविक निर्णय कहा जाता है।
Q2-ज्ञान मीमांसा क्या है ज्ञान प्राप्ति के विभिन्न
साधन क्या है?
Ans-ज्ञानमीमांसा दर्शन की एक शाखा है। ज्ञानमीमांसा ने आधुनिक काल में विचारकों का ध्यान आकृष्ट किया। दर्शनशास्त्र का ध्येय सत्य के स्वरूप को समझना है। सदियों से विचारक यह खोज करते रहे हैं, परन्तु किसी निश्चित निष्कर्ष से अब भी उतने ही दूर प्रतीत
Q-3 ज्ञान का स्रोत क्या है?
Ans -ज्ञान को मुख्यतया आँख, कान,नाक, जीभ व् त्वचा जैसी ज्ञानेन्द्रियों से
प्राप्त किया जाता है। इन इन्द्रियों को ज्ञान का आरंभिक स्त्रोत कहा जाता है। हमारी इन्द्रियों के किसी
बाहरी वस्तु के संपर्क में आने से हमें उसकी संवेदना होती है। इसी संवेदना के आधार
पर ज्ञान का प्रत्यय हमारे मस्तिष्क में बनता
है।
Q-4 -तथ्यात्मक ज्ञान से क्या आशय है
इसकी विशेषताएँ लिखिए?
Ans तथ्यात्मक ज्ञान ज्ञान श्रृंखला का तृतीय प्रकार है इस ज्ञान के अंतर्गत किसी व्यक्ति या वस्तु
के संदर्भ में कोई दवा या तथ्य निश्चित किया जाता है अर्थात किसी वाक्य के मूल्य
में जो तथ्य छिपा होता है वह इस ज्ञान का प्रमुख अंग होता है इसलिए इस
प्रकार के ज्ञान को तथ्यात्मक अधिगम कहते हैं।
Q-5 ज्ञान कितने प्रकार के होते हैं?
Ans ज्ञान तीन प्रकार के मुख्यतः होते हैं प्रात्यक्षिक ज्ञान, अनुमानिक ज्ञान और शाब्दिक ज्ञान।
Q-6 ज्ञान कौन सी वस्तु है?
Ans- ज्ञान एक भौतिक वस्तु तो नहीं है, परंतु इसे भौतिक वस्तु की तरह किसी को दिया जा सकता है। पिछली
कई में ज्ञान का एक प्रकार से कौशलात्मक ज्ञान माना गया है। कौशल का अर्थ, किसी भी कार्य को तरीके से पानी की क्षमता
को पाना है।
Q-8 ज्ञान का अर्थ (Gyan Meaning in Hindi) क्या है?
ज्ञान शब्द “ज्ञ” धातु से बना है। जिसका अर्थ
जानना, बोध और
अनुभव आदि होता है। यानी किसी भी वस्तु (जो हमारे आसपास है) के स्वरूप का अर्थात
जैसा वह है, उसे वैसे
ही जानना, अनुभव और
बोध होना उस वस्तु का ज्ञान कहलाता है। आसान भाषा में कहे तो किसी
वस्तु की सही जानकारी होना ज्ञान है।
Q -9 ज्ञान क्या है? इसकी
परिभाषा, प्रकार, अर्थ
और स्रोत
ज्ञान
एक प्रकार की मनोदशा है, ज्ञाता
के मन में होनेवाली एक तरह की हलचल है। वह बौध्दिक अनुभव जो ज्ञानेंद्रियों द्वारा
प्राप्त होता है। ज्ञान कहलाता है। मनुष्य में पाँच ज्ञानेंद्रियों होता है। ज्ञान
हमारे मष्तिष्क को विकसित करने का काम करता है। ज्ञान के आधार पर ही हम विभिन्न
प्रकार के कार्यों को करते हैं और अपने कार्यक्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। यानी कि
उन्नति करते हैं। ज्ञान ही उन्नति, तरक्की, आगे बढ़ने की शक्ति
और अच्छे कार्य करने की प्रेरणा देती है। ज्ञान अथाह है अनंत है। इसे जितना खोजते
जाओ, उतने
बढ़ते जाता है।
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